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Monday, November 29, 2010

बस दूसरों के दर्द पर मत मुस्कुराएये

थोडा स दर्द बांटकर खुशियों को पाइए '
वेदनाएं दूसरों की पास लाइए  .
कांटा चुभा है उसके पैरो में जो अभी ,
आकरके अपने हाँथ से उसको निकालिए .
खुद के भी जख्म आप तब भूल जायेंगे,
आंसुओं को उसके जरा पोंछ डालिए.
यह भी न कर सकें तो इतना ही कीजिये ,
बस दूसरों के दर्द पर मत मुस्कुराएये

Thursday, November 4, 2010

deepawali ka bhav deep.....

अभिनव भाव दीप की लड़ियाँ
जीवन ज्योति बिम्ब लहरा दे .
यशस्वी पर्वत मालाएं
कीर्ति ध्वजा ऊपर फहरा दे
दीपों का ये पर्व दिवाली
दर्द बाँटने आई दिवाली
करे 'श्री ' में ब्रधि दिवाली .
ब्लॉगर की इस दुनिया में
नूतन नव सन्देश रचा दे
पाठक गन के भावों में
नया स्वर्ण प्रकाश बहा दे.

Tuesday, November 2, 2010

aaoo hm sb deep jalayen..........

 आओ हम सब दीप जलाएं ...
अँधियारा जो ब्याप्त है मन में
छिपा हुआ जो अंदर तन में
कलुषित सी उन स्वांशों से
कैसे हम सब दीप जलाएं .....
उस बखरी का दर्द तो जाने ....
जिस की बिटिया संग रेप हुआ था
जिस घर बहू को आग लगी थी ..
जिस घर डेंगू से बेटे का अंत हुआ था...
आतंकी के निर्मूलन में जिसका बेटा सहीद हुआ था..
उस माँ का दर्द भी जाने
जिसकी बिटिया बिनब्याही है...
उस पति की कसक भी समझे...
जिसकी पत्नी स्वर्ग सिधारी....
उस बहना को दर्द भी समझो...
जिस की माँ हैं स्वर्ग सिधारी...
इन सबके घर भी जाकर
इनका अन्तश दर्द मिटायें ..
तब सब मिलकर दिया जल्यें....
आओ हम सब दीप जलाएं .