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Friday, January 28, 2011

kb tk vilaap karenge

रास्ट्र मे ब्याप्त भ्रस्टाचार को हम केवल अपने ड्राइंग रूम मे कोसकर दूर नहीं कर सकते . इसके लिए हमे आगे आना होगा . हम अपने गैस सिलेंडर  ब्लेक में लेकर भ्रस्ताचार  को कोसेंगे ? बिजली के मीटर को बंद करके या कम करवाकर, ट्राफिक नियमों को तोडकर , सरकारी दफ्तर के वाहन से पारिवारिक य निजी प्रयोग को करके,रेल यात्रा बिना     टिकट करके , गाँव में बुधिया कि मजदूरी मारकर ,घरेलू नौकर कि तनखाह काटकर हम भ्रस्टाचार को कोसने का हक नहीं रखते हैं.
कम से कम हम इतना संकल्प लें सकते हैं कि हम आज से ऊपर लिखे कोई  कुक्र्त्य नहीं करेगे.   
jaihind

Tuesday, January 25, 2011

26 JAN 2011

पुलकित मन से अभिनंदन है
रोम रोम में अब क्रन्दन है
जन गन मन सारे विस्मित हैं
सापों के फन पर चन्दन है.
लाल  चौक  पर फहर न पाए
सबके प्यारे ध्वजा तिरंगे !
आतंकी क्या विजित रहेंगे
बतलाऊ तुम मुझे TIRNGEY

Monday, January 24, 2011

jhada uuncha rahe hamara....

झंडा ऊंचा रहे हमारा
लगता कितना सुंदर नारा .
लाल चौक पर फहर न पाए
शासन का आदेश ये प्यारा
भारत का सौभाग्य निराला
करें शिखंडी वारा न्यारा .......
जिनके हाँथ देश कि नैया
जन गन का जो बना खेवैया
आतंकित का नही सहारा
झंडा ऊचा रहे हमारा ....
जेके भी भारत क अंग है
यह सुनकर मन बहुत दंग है
झंडा वहां  फहर न पाए
जन गन भी ठहर न पाए
बात देश कि कर न पाए..
गणतंत्र देश का कह कब पाए
यह अब हम को नहीं गवारा
वाही कहेंगे हम जाकर
झंडा ऊंचा रहे हमारा......

Sunday, January 23, 2011

bigbadda

आज पढ़ा जब बिग बी अड्डा
दिखा नया कुछ उसमे फंडा
दर्द दिखा दर्दीले मन से
बच्चन जी का होगा मंगल
घोर उपेछा आभावों बिच
कुश होंगे थोडा हंगल

Tuesday, January 18, 2011

mere blogger ki rachnaon pr pratikriya bina udas mn ..

प्रेम लिखा मनुहार लिखा  अरु ब्याप्त  अनीति पे वार किया ,
प्रीति कि रीति के   दर्द भरी शब्दों कि परिधि को पार किया ,
कुछ भी तो कहो मेरे साथी  गणों इस पन्ने पे अपनी राइ लिको
ब्लॉगर के हितैषी पाठकों से अनुरोध ये बारम्बार किया.
अरुणेश जो ब्लॉगर के हैं धनी अनुकम्पा कभी कभी  करते रहे .
भाव की गाड़ी रुकी जो कभी हवा उसमे सदा ही भरते रहे.
ब्लॉगर की बिरादरी के वाहक उनसे ही हमे अस्थान मिला
अब बाट निहारूं उनकी यहाँ प्रभु से यही बिनती करते रहे.
कुछ और भी ब्लॉगर बन्धु करे अनुशरण हमारा आज यहाँ
उनकी सदाशयता की उर्जा इस लोक हितों को समर्पित हो
अनुकम्पा मिले  स्पंदन को मन भाव ह्रदय का प्रफुल्लित हो .

Monday, January 10, 2011

aawahn

कवि ! लिखो कदाचित कुछ ऐसा -----
मन जिससे हर्षित हो  जाये .
वाणी बने प्रेरणा सबकी ,
जन गन मन पुलकित हो जाये .
"धनिया"की पीड़ा भी दूर हो ,
होरी सब का मन बसिया हो .
बसुधैव कुटुम्बकम की  धरती '
मानव मन की शुचि बगिया हो .
नैतिकता संकल्प बने
पथ भ्रष्ट निराश्रित हो जाये
साहित्य भरे जन मांस में
सरोकार सब मिल जाएँ ...

यह कविता नहीं है यह मेरा सभी साहित्यकारों ब्लॉगर लिखने वालों से अनुरोध है... हम सभी को आज के भ्रस्ताचार के बिरुद्ध खड़े हो जाना चाहिए. जय हिंद.

shahity banam samaj

ब्यथा प्रस्फुटित जब होती है
वाणी में बहकर झरती है .
पीर स्वयम की हो या पराई ,
जब शब्दों में कुछ कहती है .
निर्झर प्रवाह कविता बनकर ,
चट्टानों से तब लडती है.
"मैं" बनकर जब "हम" होता है ,
बात तुम्हारी तब कहती है..