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Thursday, December 27, 2012

कह रहा है आज कोई प्रेम की कविता लिखो दे रहा हुँकार कोई क्रांति अंगारे लिखो .. एक बाबा कह रहे ईस्वर के दर्शन पंथ की आज नूतन रीति की एक परिभासा लिखो . मैने सोचा और देखा कपकपाती देह को कह रही थी भूख व् इस ठंड की आशा लिखो . कृपया आप बताएं मैं क्या लिखूं ?

Tuesday, August 28, 2012

बहुत दिनों के बाद... हमारे गाँव में कभी दादी बताती थी ---- उनकी सास ने कब उन्हे दुलराया -- उनके उपर कब उबलती दाल की बटोली.. उड़ेल दी थी .. मैने इसे तब की सास की अज्ञान प्रभुता समझा था .... और आज जब वह रोई तो ---- मुझे याद आया ---- मेरी दादी की सास तो अब भी जिन्दा है ..

Tuesday, April 3, 2012

naye sitare tum jad do ..

भाव भूमि की इस गागर में मानव प्रेम का रस तुम भर दो , कर्म छेत्र की इस धरती पर कुछ नव ह्स्ताक्च्र्र कर दो . कितना पाया कितना खोया इससे अब ऊपर उठ जावो भारत माता के आंचल मे नये सितारे अब तुम जड़ दो

Monday, April 2, 2012

jhanda kaise fahrayega.

माली जब पौध लगाता है अन्त्श्मन सुख वह पाता है जब पौध को कोई नस्ट करे तब उसके मन पर क्या होगा.. उस किशान की पीड़ा को कैसे कोई सह पाता है भवन बने उन खेतों पर तब उसके मन पर क्या होगा. बुनकर के ताने बाने में जब कोई आग लगाएगा फकरुद्दीन जुलाहे के घर में कोहराम मचा होगा . इन तीनो क्रांति जनों को जब यह तमस घिरा घर दिखता है तब भारत जन गन मन का यह कैसे झंडा लहराएगा .

Friday, March 30, 2012

kb

लघु तारों के नभ मंडल में रश्मि चन्द्रिका कब आयेगी , भावों के इस मरू अस्थल पर शीतल छाया कब छायेगी तृषित अधर अब सूख गए हैं बूँद बूँद पानी के खातिर मेघ घटा धरती पर आकर अमृत रस कब बरसायेगी

Tuesday, March 6, 2012

greeting of holi

होली की बधाई लोकतंत्र को बधाई .. सबसे पहले चुनाव आयोग को बधाई .. जिस के कारन शांति पूर्ण से यू०पी० मे नई फसल फिर से पककर भारत मे लहराई -- जो जीते है उन्हे बधाई ... सौम्य सलोनी जीत को पाकर थोड़ी अब मृदुता लाओ जनता के दुःख विषाद को सेवा करके दूर भगाओ. लूट पाट से दूर रहो तुम अपने मन अब द्रढता लाओ जो हारे है उनसे भी मर्यादा से गले लगाओ .. भ्र्स्ताचारी को सजा दिलाकर उसको उसका अस्थान दिलाओ. प्रेम गुलाल निज सेवा का रंग लगाकर विजय पर्व होली का मनाओ.

Wednesday, February 29, 2012

जाने चले जाते है कहाँ दुनिया से जाने वाले......... जाने चले जाते है कहाँ दुनिया से जाने वाले......... janey chaley jattey hain kahann..

जाने चले जाते है कहाँ दुनिया से जाने वाले......... मेरी बिटिया की शादी मे सब आये पर तुम न आयी. सच है पहले की ही तरह तुम साथ में मेरे बैठ न पाई. दर्द भी कोई देख न पाया जो मन में उमड़ रहा था आँखों के कोरों में रुककर अपने में ही सिमट रहा था. बिटिया के संग चली गयी है नीद न जाने किस कोने मे सारी बाते उस अत्तीत की छवि गृह सी चलती रातों में .... आवाजों के नाम पे केवल टी.वी के ही स्वर गूंजते हैं कभी कभी प्रिय गृह कर्मी के कुछ कुछ स्वर सुनते हैं. सन्नाटा जो दिया है तुमने उसका नही विकल्प दूसरा ढूँढा एक विकल्प अभी है पर वह भी लगता हमे अधूरा अन्दर से मन ढूंढ़ रहा शायद इसका उत्तर पाले जाने चले जाते हैं कहाँ दुनिया से जाने वाले ....... आज बहुत मन Chubdh है ...इस कविता को लिखने के बात कुछ अच्छा लग रहा है .

Sunday, February 26, 2012

पोलिओ मुक्त भारत पर एक काब्य मई अनुभूति :- पोलिओ युक्त स्वयं मै भी था घिसट घिसट कर चलता था लकड़ी की गाड़ी में बैठकर पाठशाला को जाता था सन ५४ में नहीं पोलिओ ड्राप था कोई ना ही कोई ग्यान था इसका जीवन तब बेकार सा लगता एक सहरा बस था उसका माँ की घोर तपस्या ही थी. थे अध्यापक पिता सहारा उनकी द्रढ़ता ही तो थी जिसने जीवन मेरा सवारा आज पोलिओ मुक्त है भारत,यह सुनकर मन पुलकित है कोई अब विक्लोंग न होए प्रभु से केवल अर्चित है . सभी भारतियों को पोलिओ मुक्त भारत पर अन्त्श्मन से बधाई... महानायक अमिताभ बच्चन जी को भी कृतज्ञ मन से साधुवाद . विष्णु कान्त मिश्र .

Tuesday, February 21, 2012

मन अभिभूत हो रहा मेरा परमेश्वर के श्री चरणों में , जिनकी कृपा से पूर्ण हो गया बिटिया तृप्ति का गठबंधन . मुझ असहाय को दिया सहारा सब निपटाया श्री साईं नें , उनका ही था चमत्कार यह उनको हो मेरा पगबन्दन .

Wednesday, January 18, 2012

JA YAAD TUMAHREE AATEE HAI

जब याद किसी की आती है उस अतीत की सिहरन बन मन के अंदर छा जाती है . जब कल रातों मे इस बिटिया की शादी के नेह निमंत्रण लिखता था तब न जाने कब कहाँ से तुम सपनों में आ जाती हो फिर से तुन नाम बताती हो किसे निमंत्रण देना है .. त्रुतिओं में आकर तुम सुधर करवाती हो .. कितने बह्ड़ोर कितना बयना और किया तयारी क्या .. यह सब तुम पूछा करती हो वह स्वर्ग से आकर भी मुझमे उर्जा भर जाती हो .. जब याद किसी की आती है ..

Friday, January 6, 2012

संवाद नहीं , अंदाज नहीं ,जन मन गण की कोई बात नही ! फिर कैसे कह दूँ मै तुमसे हम तेरे गाँव का नेता हूँ ? तुम जब ठिठुरन में ठिठुर रहे हम अंदर ब्लोवर ताप रहे , जब तुम हो चाय को तरस रहे हम तब व्हिस्की से खेल रहे. तुम को तो एक निवाला भी आकाश कुसुम सा लगता है . हम पांच सितारा होटल मे नंगी लड़की संग नाच रहे. पहचान नहीं क्या तुम पाए हम तो भाग्य विधाता हैं या तुम इतना ही समझो हम भारत वर्ष के नेता हैं.

Thursday, January 5, 2012

हम सब कितने लगे बेचारे.:- उनको देखा इनको देखा थाली के बैगन से दिखते , कभी इधर हैं कभी उधर है सभी तरफ हैं जाते रहते . मौसम बदला पाला बदला मुहं में नया निवाला बदला ' सब कुछ बदला लेकिन उनमे दुष्कर्मों का ढंग न बदला . जिसको वह कल काला कहकर पानी पी पी कोष रहे थे , आज उसी से गले वह मिलकर बहियाँ डाले खील रहे थे . राजनीत के चौराहे पर मित्रों सब कुछ हो जाता संभव स्वार्थ और विजयी होने में सिधोनों की बात असंभव

Tuesday, January 3, 2012

आज वह देखते ही देखते दौडने लगी है. बहारों के सपने बुनने लगी है भावनाओं का अम्बार मेरे शब्दों को विह्वल कर रहा है.. ममता के आंसुओं से दिल आज न जाने क्यों भावुक हो रहा है .. ऐसा नहीं है की मई केवल उसका पिता हूँ बहुत दिनों से उसकी माँ भी बनने का प्रयास करता रहा हूँ ... पर नहीं दे सका उस माँ की सांत्वना ... उत्साह... ममता... आज उसी बिटिया का मुझ माँ और बाप का समेकित दुलार उसको यही है मेरा उसके जन्म दिन पर उपहार. मेरे ह्रदय से अस्पन्दन की धडकनों का