jo bhi kuch likhta hoon ' ushey samarpit karta hoon. apna bhi mantabya likhen kuch yehi prarthna karta hoon.
Tuesday, April 3, 2012
naye sitare tum jad do ..
भाव भूमि की इस गागर में मानव प्रेम का रस तुम भर दो ,
कर्म छेत्र की इस धरती पर कुछ नव ह्स्ताक्च्र्र कर दो .
कितना पाया कितना खोया इससे अब ऊपर उठ जावो
भारत माता के आंचल मे नये सितारे अब तुम जड़ दो
Monday, April 2, 2012
jhanda kaise fahrayega.
माली जब पौध लगाता है अन्त्श्मन सुख वह पाता है
जब पौध को कोई नस्ट करे तब उसके मन पर क्या होगा..
उस किशान की पीड़ा को कैसे कोई सह पाता है
भवन बने उन खेतों पर तब उसके मन पर क्या होगा.
बुनकर के ताने बाने में जब कोई आग लगाएगा
फकरुद्दीन जुलाहे के घर में कोहराम मचा होगा .
इन तीनो क्रांति जनों को जब यह तमस घिरा घर दिखता है
तब भारत जन गन मन का यह कैसे झंडा लहराएगा .
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