सपनों को आने दो
नये घरौंदे बनने दो
इन्ही घरौंदों में कुछ अपना
ज्यादा तो है तेरा सपना.
इन सपनों को आने दो .......
जब तक सपने नहीं दीखते
लक्छ्य नहीं हैं तब तक मिलते
ल्क्च्या बिन्दुओं को पाने को
इन सपनों को आने दो .
jo bhi kuch likhta hoon ' ushey samarpit karta hoon. apna bhi mantabya likhen kuch yehi prarthna karta hoon.
Thursday, August 26, 2010
Monday, August 16, 2010
bhav bhoomi ke naye prasth par
भाव भूमि के नए प्रष्ठ पर नूतन कविता लिखता हूँ .
नई तूलिका नए रंग से नया चित्र फिर गढ़ता हूँ .
तिरसठवां ये नया प्रष्ठ है भारत की आजादी का
भ्रस्टाचार का शीर्षक दे दूँ महंगाई बर्बादी का
सड़क नरेगा सिक्छा सबको चारों तरफ झुनझुना बजता
अस्पताल के द्वार पे budhiya तिल तिल कर रोज है मरता
छोटे से बुखार के बदले कैंसर का इलाज होता है
छोटा डाक्टर अपने को कैंसर का विज्ञ लिखता है.
छात्रा से विद्यालय मे बलात्कार का चलन हो रहा
आतंकवाद नक्सल हिंसा पर मुन्त्री गन का मनन हो रहा.
धर्म जाति की राजनीति पर मूल्ल्यों का हनन हो रहा
आजादी के पावन दिन पर थोड़ी कटुता कहता हूँ
भाव भूमि के नये प्रष्ठ पर नूतन कविता लिखता हूँ .
विष्णु कान्त मिश्र
नई तूलिका नए रंग से नया चित्र फिर गढ़ता हूँ .
तिरसठवां ये नया प्रष्ठ है भारत की आजादी का
भ्रस्टाचार का शीर्षक दे दूँ महंगाई बर्बादी का
सड़क नरेगा सिक्छा सबको चारों तरफ झुनझुना बजता
अस्पताल के द्वार पे budhiya तिल तिल कर रोज है मरता
छोटे से बुखार के बदले कैंसर का इलाज होता है
छोटा डाक्टर अपने को कैंसर का विज्ञ लिखता है.
छात्रा से विद्यालय मे बलात्कार का चलन हो रहा
आतंकवाद नक्सल हिंसा पर मुन्त्री गन का मनन हो रहा.
धर्म जाति की राजनीति पर मूल्ल्यों का हनन हो रहा
आजादी के पावन दिन पर थोड़ी कटुता कहता हूँ
भाव भूमि के नये प्रष्ठ पर नूतन कविता लिखता हूँ .
विष्णु कान्त मिश्र
Saturday, August 14, 2010
swatantrta divs abhinandan
शौर्य सन्ति prem की उमंग में जो लहराए ऐसे तीन रंग के तिरंगे है तुमेह प्रणाम.
हिन्दू सिख मुस्लिम है तेरी सभी संताने करते नमन और करते तुमहे सलाम .
दिलों जां भी देकर के रक्छा करेंगे तेरी अहद आज करते हैं देते हम सभी बयां ..
हिन्दू सिख मुस्लिम है तेरी सभी संताने करते नमन और करते तुमहे सलाम .
दिलों जां भी देकर के रक्छा करेंगे तेरी अहद आज करते हैं देते हम सभी बयां ..
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