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Friday, April 1, 2011

kranti kranti...

अभी कल की बात है ------
मै उसे देख रहा था घसीटी जाती हुई ..
वह कोई और नहीं थी
वह थी वीरांगना रानी लक्छमीबाई-----
जिसे सीरिअल मे देखकर ,
आंखे भर आयीं .
वह अकेली नही
क्रांतिकारियों की लम्बी कतार है .
जिसने हमको दी बहार ही बहार है.
और हम ?
उनको दे रहे हैं घोटाले घोटाले...
स्रधांजलि में .
स्पक्ट्र्म . हसन अली  .मुंबई के आवास....
यही है हमारी स्वत्रता का उपहास .


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