jo bhi kuch likhta hoon ' ushey samarpit karta hoon. apna bhi mantabya likhen kuch yehi prarthna karta hoon.
Sunday, February 26, 2012
पोलिओ मुक्त भारत पर एक काब्य मई अनुभूति :-
पोलिओ युक्त स्वयं मै भी था घिसट घिसट कर चलता था
लकड़ी की गाड़ी में बैठकर पाठशाला को जाता था
सन ५४ में नहीं पोलिओ ड्राप था कोई ना ही कोई ग्यान था इसका
जीवन तब बेकार सा लगता एक सहरा बस था उसका
माँ की घोर तपस्या ही थी. थे अध्यापक पिता सहारा
उनकी द्रढ़ता ही तो थी जिसने जीवन मेरा सवारा
आज पोलिओ मुक्त है भारत,यह सुनकर मन पुलकित है
कोई अब विक्लोंग न होए प्रभु से केवल अर्चित है .
सभी भारतियों को पोलिओ मुक्त भारत पर अन्त्श्मन से बधाई...
महानायक अमिताभ बच्चन जी को भी कृतज्ञ मन से साधुवाद .
विष्णु कान्त मिश्र .
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1 comment:
ek sahaj hriday se nikli sundar bhavabhivyakti.badhai.
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