बहुत दिनों के बाद...
हमारे गाँव में कभी दादी बताती थी ----
उनकी सास ने कब उन्हे दुलराया --
उनके उपर कब उबलती दाल की बटोली..
उड़ेल दी थी ..
मैने इसे तब की सास की अज्ञान प्रभुता
समझा था ....
और आज जब वह रोई तो ----
मुझे याद आया ----
मेरी दादी की सास तो अब भी जिन्दा है ..
1 comment:
भावनात्मक .शानदार प्रस्तुति.बधाई.तुम मुझको क्या दे पाओगे?
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