आओ हम सब दीप जलाएं ...
अँधियारा जो ब्याप्त है मन में
छिपा हुआ जो अंदर तन में
कलुषित सी उन स्वांशों से
कैसे हम सब दीप जलाएं .....
उस बखरी का दर्द तो जाने ....
जिस की बिटिया संग रेप हुआ था
जिस घर बहू को आग लगी थी ..
जिस घर डेंगू से बेटे का अंत हुआ था...
आतंकी के निर्मूलन में जिसका बेटा सहीद हुआ था..
उस माँ का दर्द भी जाने
जिसकी बिटिया बिनब्याही है...
उस पति की कसक भी समझे...
जिसकी पत्नी स्वर्ग सिधारी....
उस बहना को दर्द भी समझो...
जिस की माँ हैं स्वर्ग सिधारी...
इन सबके घर भी जाकर
इनका अन्तश दर्द मिटायें ..
तब सब मिलकर दिया जल्यें....
आओ हम सब दीप जलाएं .
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