थोडा स दर्द बांटकर खुशियों को पाइए '
वेदनाएं दूसरों की पास लाइए .
कांटा चुभा है उसके पैरो में जो अभी ,
आकरके अपने हाँथ से उसको निकालिए .
खुद के भी जख्म आप तब भूल जायेंगे,
आंसुओं को उसके जरा पोंछ डालिए.
यह भी न कर सकें तो इतना ही कीजिये ,
बस दूसरों के दर्द पर मत मुस्कुराएये
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