jo bhi kuch likhta hoon ' ushey samarpit karta hoon. apna bhi mantabya likhen kuch yehi prarthna karta hoon.
Wednesday, February 29, 2012
जाने चले जाते है कहाँ दुनिया से जाने वाले......... जाने चले जाते है कहाँ दुनिया से जाने वाले......... janey chaley jattey hain kahann..
जाने चले जाते है कहाँ दुनिया से जाने वाले.........
मेरी बिटिया की शादी मे सब आये पर तुम न आयी.
सच है पहले की ही तरह तुम साथ में मेरे बैठ न पाई.
दर्द भी कोई देख न पाया जो मन में उमड़ रहा था
आँखों के कोरों में रुककर अपने में ही सिमट रहा था.
बिटिया के संग चली गयी है नीद न जाने किस कोने मे
सारी बाते उस अत्तीत की छवि गृह सी चलती रातों में ....
आवाजों के नाम पे केवल टी.वी के ही स्वर गूंजते हैं
कभी कभी प्रिय गृह कर्मी के कुछ कुछ स्वर सुनते हैं.
सन्नाटा जो दिया है तुमने उसका नही विकल्प दूसरा
ढूँढा एक विकल्प अभी है पर वह भी लगता हमे अधूरा
अन्दर से मन ढूंढ़ रहा शायद इसका उत्तर पाले
जाने चले जाते हैं कहाँ दुनिया से जाने वाले .......
आज बहुत मन Chubdh है ...इस कविता को लिखने के बात कुछ अच्छा लग रहा है .
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1 comment:
बहुत दर्दभरा गीत है। आपकी भावनायें समझी जा सकती हैं। शुभकामनायें!
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