प्रेम लिखा मनुहार लिखा अरु ब्याप्त अनीति पे वार किया ,
प्रीति कि रीति के दर्द भरी शब्दों कि परिधि को पार किया ,
कुछ भी तो कहो मेरे साथी गणों इस पन्ने पे अपनी राइ लिको
ब्लॉगर के हितैषी पाठकों से अनुरोध ये बारम्बार किया.
अरुणेश जो ब्लॉगर के हैं धनी अनुकम्पा कभी कभी करते रहे .
भाव की गाड़ी रुकी जो कभी हवा उसमे सदा ही भरते रहे.
ब्लॉगर की बिरादरी के वाहक उनसे ही हमे अस्थान मिला
अब बाट निहारूं उनकी यहाँ प्रभु से यही बिनती करते रहे.
कुछ और भी ब्लॉगर बन्धु करे अनुशरण हमारा आज यहाँ
उनकी सदाशयता की उर्जा इस लोक हितों को समर्पित हो
अनुकम्पा मिले स्पंदन को मन भाव ह्रदय का प्रफुल्लित हो .
1 comment:
सरस भावों की सहज अभिव्यक्ति ।
प्रशंसनीय ।
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