कल टीवी पर देख रहे थे.
मुख्यमंत्री यानि .
सच्ची जन सेविका
प्रदेश कि पोषिका
का निष्ठुर मन तौल रहे थे...
वह अपने बाप के मरने वालों को
सजा दिलाने के लिए चिल्ला रही थी
उनको जोर जोर से अपनी बात सुना रही थी.
उनकी सिक्यूरिटी उसे बार बार धकिया रही थी
मुख्यमंत्री जी अंदर से मुस्कुरा रही थी ..
वह क्या जाने किसी कि बेदना.
उनकी सुख चुकी है संवेदना.
मुख्यमंत्री यानि .
सच्ची जन सेविका
प्रदेश कि पोषिका
का निष्ठुर मन तौल रहे थे...
वह अपने बाप के मरने वालों को
सजा दिलाने के लिए चिल्ला रही थी
उनको जोर जोर से अपनी बात सुना रही थी.
उनकी सिक्यूरिटी उसे बार बार धकिया रही थी
मुख्यमंत्री जी अंदर से मुस्कुरा रही थी ..
वह क्या जाने किसी कि बेदना.
उनकी सुख चुकी है संवेदना.
1 comment:
हृदयहीनों के हाथ में सत्ता होना जितना दुखद है उतना ही शर्मनाक भी।
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