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Thursday, April 1, 2010

लिख दिया है कुछ भी यों ही ब्लॉग लिखते लिखते

कुछ असमंजस ऐसे होते जिन पर निर्णय बहुत कठिन है ,
कुछ प्रतिबंध भी होते ऐसे जिन से भगना बहुत कठिन है ।
मन उतावला जब होता है बाधाएं तब छोटी लगती ,
तर्क वितर्क के गठबंधन में सीमायें सब छोटी लगती
घोस गूंजना विद्रोही का इस समाज में बहुत कठिन है ॥
नीतिशास्त्र की रांह में चलकर कहीं पे थकना बहुत कठिन है।
बस इतना ही ...........

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