अंधकार के बाद आता है प्रकश ......
और इशी प्रकाश में समाया है हमारे अंतर
का dard vinayash ......
yehi vinayash vismrit
kara deta है कुछ अपूर्व यादगार पल ----
ऐसे ही मै भूल गया अपनी बिटिया के गठबंधन की
पवित्र वर्ष गाँठ !
मैं भूल गया उसे अलसुबह बधाई देना।
नहीं याद रहा उसे कहना ......
अमर रहे अहिवात तुम्हारा.......
मधु मय हो दिन रात तुम्हारा......
करो सदा तुम पति की सेवा......
पति दे तुमको हर पल मेवा.....
हो संतोष सदा ही मन में -----
हो निरोग दोनों के तन में -------
बनो यशस्वी तुम दोनों ही
पाओ लछ्य सभी दोनों ही ।
मन में कलुष न किंचित ही हो
सबको प्रेम सदा तुम दो ............
नेह प्रेम सबसे ही तुम लो...........
shubkamnayen.......... papa....
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