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Thursday, April 22, 2010

हवा के रुख संग न बह सका मैं , किनारे मुझको bula रहे थे

थी आंधियां दर्मिएने मेरे पता जो उनका बता रहे थे ।

लुटा दिया अपनी ही धरोहर कभी था जिसपे नाज मुझको ,

उसी के गम में बातकर हम दिल को रोना सिखा रहे थे ।

हुई

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