राम ने कहा था कभी --
बानर या मनुज सभी
न्याय हेतु लड़ो किन्तु
प्रेम को न भूलो अभी .......
शांति और प्रेम में
अकूत शक्ति है छिपी...
गाँधी ने भी यही शस्त्र
अहिन्षा के साथ लिया
शांति शौहद्र को ही साथ ले
मानव को इसी का अनूठा मंत्र दिया...
नये तूफ़ान का डर जो आज सता रहा.
सहन सकती सह अस्तित्व को न भूलू कभी..
शंकट की घडी में रास्ता यही बता रहा.
1 comment:
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
अभिलाषा की तीव्रता एक समीक्षा आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
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