कौन सुर संतोष देंगे कौन अन्त्श्वेदना .
कौन सा सम्वाद भर देगा ह्रदय मे चेतना.
कब तलक हम शब्द लेंगे दूसरो से उधार,
क्यों न कह दे तुम्ही से आज अपनी वेदना.
तुम यहाँ से मेरे मन की बात सुन सकती तो हो
कौन क्या कहता उसे तुम भूल सकती तो हो.
कब तलक हम दूर से ही मौन कुछ कहते रहेंगे
चिर दूरियों से ही सही तुम तो बुला सकती तो हो .
1 comment:
कब तलक हम शब्द लेंगे दूसरो से उधार,
क्यों न कह दे तुम्ही से आज अपनी वेदना.
बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियां।
आभार!
देसिल बयना-खाने को लाई नहीं, मुँह पोछने को मिठाई!, “मनोज” पर, ... रोचक, मज़ेदार,...!
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