केंद्रीय कार्यालयों में दिनांक २५-१०-१० से १-११-२०१० तक भ्रष्टाचार निरोधक सप्ताह मनाया जा रहा है . सभी अधिकारीयों एवं कर्मचारियों को रिस्बत न लेने के लिए शपथ दिलाई गई . इशी नाटक पर प्रस्तुत है एक भ्रष्ट टिपण्णी .....
जब शपथ दिलाई जा रही थी ....
हमे झूट मूठ की बातें बताई जा रही थी
केंद्रीय परिपत्र सुनाया जा रहा था
यानि की हमे भूला पाठ पद्य जा रहा था .
हमे अचानक ही याद आने लगी सब्जीमंडी ....
वही पर मिले थे अपने " कल्मांडी "
क्रत्रिम रसायनों से बनी लौकियाँ बीच रहे थे ....
शीलाएं, गिल और रेड्डी भी उन्नेह देख रहे थे ----
मैने पूछा....रस्त्र्मंडल से क्या अभी थके नहीं हो. ...
क्या अभी किसी पड़ाव पर रुके नहीं हो...
रुकने वाले मुर्ख होते है..
हम तो देश के खातिर बहुत कुछ धोते हैं ..
मावा,,ढूध घी के धंधे में बहुत से अपने ही बन्दों को लगाया है...
टूट्ठी सडको का यह स्वरूप हमारे ही लोगो ने बनाया है..
हम सच्चे रास्त्र सेवक हैं....
अपनी पहचान खुद बनाते हैं...
दूसरों को इसके लिये बिलकुल नहीं सताते हैं.
मुझे लगा इस सप्ताह का स्वरूप साकार हो गया.
भ्रस्ताचार पर कल्मंदियों का भरमार हो गया.,
1 comment:
सटीक व्यंग्य है, झूठी शपथों से भ्रष्टाचार मिटता होता तो बात ही क्या थी।
Post a Comment