आज वह देखते ही देखते दौडने लगी है.
बहारों के सपने बुनने लगी है
भावनाओं का अम्बार मेरे शब्दों को
विह्वल कर रहा है..
ममता के आंसुओं से दिल आज न जाने क्यों
भावुक हो रहा है ..
ऐसा नहीं है की मई केवल उसका पिता हूँ
बहुत दिनों से उसकी माँ भी बनने का प्रयास करता रहा हूँ ...
पर नहीं दे सका उस माँ की सांत्वना ...
उत्साह...
ममता...
आज उसी बिटिया का
मुझ माँ और बाप का समेकित दुलार
उसको यही है मेरा उसके जन्म दिन पर उपहार.
मेरे ह्रदय से अस्पन्दन की धडकनों का
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