संवाद नहीं , अंदाज नहीं ,जन मन गण की कोई बात नही !
फिर कैसे कह दूँ मै तुमसे हम तेरे गाँव का नेता हूँ ?
तुम जब ठिठुरन में ठिठुर रहे हम अंदर ब्लोवर ताप रहे ,
जब तुम हो चाय को तरस रहे हम तब व्हिस्की से खेल रहे.
तुम को तो एक निवाला भी आकाश कुसुम सा लगता है .
हम पांच सितारा होटल मे नंगी लड़की संग नाच रहे.
पहचान नहीं क्या तुम पाए हम तो भाग्य विधाता हैं
या तुम इतना ही समझो हम भारत वर्ष के नेता हैं.
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