पावन हिंदी के सागर में ,हैं अमूल्य रत्नों की कड़ियाँ .
कबीरा तुलसी रसखान सूर बुन लो चाहे जितनी लड़ियाँ ..
भक्ति काल से लेकर अबतक हिंदी प्रवाह रस घोल रहा
अपनों से अपनी भासा में म्रदुता वाणी मन तौल रहा .
फिल्में हो या फिर कम्पूटर विश्व में हिंदी छाई है
नई उमंगो संग अपनी हिंदी दुनिया में आई है.
कीर्तिमान हिंदी के अब नई पताका बन फहरे
भाव भूमि की धरती पर उसके प्रभाव हों अति गहरे ...........
आओं आज हम संकल्प ले की हिंदी को अंग्रेगी का विकल्प बनायें. हिंदी दिवस पर हमारी सभी पथोको को हार्दिक शुबकामनाएं.
विष्णु कान्त मिश्र
1 comment:
पावन हिंदी के सागर में ,हैं अमूल्य रत्नों की कड़ियाँ .
कबीरा तुलसी रसखान सूर बुन लो चाहे जितनी लड़ियाँ ..
भक्ति काल से लेकर अबतक हिंदी प्रवाह रस घोल रहा
अपनों से अपनी भासा में म्रदुता वाणी मन तौल रहा .
फिल्में हो या फिर कम्पूटर विश्व में हिंदी छाई है
नई उमंगो संग अपनी हिंदी दुनिया में आई है.
कीर्तिमान हिंदी के अब नई पताका बन फहरे
भाव भूमि की धरती पर उसके प्रभाव हों अति गहरे ...........
बहुत ही सुंदर ....
हिंदी दिवस पर इससे अछि कविता और क्या हो सकती है ......
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