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Thursday, August 26, 2010

ek bar phir.

सपनों को आने दो
नये घरौंदे बनने दो
इन्ही घरौंदों में कुछ अपना
ज्यादा तो है तेरा सपना.
इन सपनों को आने दो .......
जब तक सपने नहीं दीखते
लक्छ्य नहीं हैं तब तक मिलते
ल्क्च्या बिन्दुओं को पाने को
 इन सपनों को आने दो .

1 comment:

अरुणेश मिश्र said...

जब अपने आएंगे ।
तब सपने आएंगे ।