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Friday, January 18, 2013

चलूँ निरंतर मिलूँ सभी से, यह मेरी अभिलाषा है . मानवता की नित सेवा में, साथ मिले यह आशा है। स्वयम कर सकूं यदि कुछ सेवा वंचित और अपंगो की, तो मेरे इस मानव तन की पूर्ण बने परिभाषा है .। आओ कुछ आहुतियाँ डालो विकलांगों के साथी बन , 'विकलांग साथी" ट्रस्ट हमारा यही प्रार्थना करता है । नहीं चाहिए अर्थ हमे कुछ ,भावों से सहयोग करो, विकलांगो को दिशा दीजिये यही याचना करता है ।

Thursday, January 17, 2013

एक चुनौती : बाधाओं से कहो हमारे पथ में आयें , हम जिन्दा दिल हैं हमे जीना आता है . हों प्रयाण में तत्पर जो पथ पग मेरे चलते चलते कब उनको रुकना आता है . सच है बैसाखी संग चलना नियति है मेरी पर अवरोधों से न रुकना भाता है

Thursday, December 27, 2012

कह रहा है आज कोई प्रेम की कविता लिखो दे रहा हुँकार कोई क्रांति अंगारे लिखो .. एक बाबा कह रहे ईस्वर के दर्शन पंथ की आज नूतन रीति की एक परिभासा लिखो . मैने सोचा और देखा कपकपाती देह को कह रही थी भूख व् इस ठंड की आशा लिखो . कृपया आप बताएं मैं क्या लिखूं ?

Tuesday, August 28, 2012

बहुत दिनों के बाद... हमारे गाँव में कभी दादी बताती थी ---- उनकी सास ने कब उन्हे दुलराया -- उनके उपर कब उबलती दाल की बटोली.. उड़ेल दी थी .. मैने इसे तब की सास की अज्ञान प्रभुता समझा था .... और आज जब वह रोई तो ---- मुझे याद आया ---- मेरी दादी की सास तो अब भी जिन्दा है ..

Tuesday, April 3, 2012

naye sitare tum jad do ..

भाव भूमि की इस गागर में मानव प्रेम का रस तुम भर दो , कर्म छेत्र की इस धरती पर कुछ नव ह्स्ताक्च्र्र कर दो . कितना पाया कितना खोया इससे अब ऊपर उठ जावो भारत माता के आंचल मे नये सितारे अब तुम जड़ दो

Monday, April 2, 2012

jhanda kaise fahrayega.

माली जब पौध लगाता है अन्त्श्मन सुख वह पाता है जब पौध को कोई नस्ट करे तब उसके मन पर क्या होगा.. उस किशान की पीड़ा को कैसे कोई सह पाता है भवन बने उन खेतों पर तब उसके मन पर क्या होगा. बुनकर के ताने बाने में जब कोई आग लगाएगा फकरुद्दीन जुलाहे के घर में कोहराम मचा होगा . इन तीनो क्रांति जनों को जब यह तमस घिरा घर दिखता है तब भारत जन गन मन का यह कैसे झंडा लहराएगा .

Friday, March 30, 2012

kb

लघु तारों के नभ मंडल में रश्मि चन्द्रिका कब आयेगी , भावों के इस मरू अस्थल पर शीतल छाया कब छायेगी तृषित अधर अब सूख गए हैं बूँद बूँद पानी के खातिर मेघ घटा धरती पर आकर अमृत रस कब बरसायेगी