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Friday, January 6, 2012

संवाद नहीं , अंदाज नहीं ,जन मन गण की कोई बात नही ! फिर कैसे कह दूँ मै तुमसे हम तेरे गाँव का नेता हूँ ? तुम जब ठिठुरन में ठिठुर रहे हम अंदर ब्लोवर ताप रहे , जब तुम हो चाय को तरस रहे हम तब व्हिस्की से खेल रहे. तुम को तो एक निवाला भी आकाश कुसुम सा लगता है . हम पांच सितारा होटल मे नंगी लड़की संग नाच रहे. पहचान नहीं क्या तुम पाए हम तो भाग्य विधाता हैं या तुम इतना ही समझो हम भारत वर्ष के नेता हैं.

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