चलूँ निरंतर मिलूँ सभी से, यह मेरी अभिलाषा है .
मानवता की नित सेवा में, साथ मिले यह आशा है।
स्वयम कर सकूं यदि कुछ सेवा वंचित और अपंगो की,
तो मेरे इस मानव तन की पूर्ण बने परिभाषा है .।
आओ कुछ आहुतियाँ डालो विकलांगों के साथी बन ,
'विकलांग साथी" ट्रस्ट हमारा यही प्रार्थना करता है ।
नहीं चाहिए अर्थ हमे कुछ ,भावों से सहयोग करो,
विकलांगो को दिशा दीजिये यही याचना करता है ।
1 comment:
आपके सत्कार्य को नमन और आपको हार्दिक शुभकामनायें!
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